मंगलवार, 26 जनवरी 2010

उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है....(जय भारत.)

सर्व-प्रथम तो आप सभी को ६१वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |

उन सभी महान आत्मायों को शत शत नमन जिनके महान बलिदान से आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र में साँस ले रहे है | उनके योगदानों के बारे में लिखना, सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है | उन्होंने वो बहुत कुछ किया जो लिखा नहीं जा सकता है |

भारत, विश्व पटल पर पहले भी जगद-गुरु की भूमिका निभाता रहा है | यहाँ के मानस में "// अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम| उदार चरितानां तु वशुधैव कुटुम्बकम //" वाक्य कूट कूट कर भरा हुआ है |

अब भी हम संस्कृति तथा सभ्यता में उत्कृष्ट है, ये उत्कृष्टता ही हमारी पहचान है | कई सभ्यताएं लगभग मिट चुकी है, पर हम अब भी बरक़रार है | हाँ कुछ तत्व है, जो इस संगमरमर पर अम्ल की तरह काम कर रहे है | पर उन्हें पता होना चाहिए कि ..

"युनान, मिस्त्र, रोमन सब मिट गए जहाँ से,

बाकी अभी है लेकिन नामोनिशाँ हमारा |

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ,

सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा ||"

अब पाकिस्तान, चीन लगातार हमारी अखंडता, एकता, भाईचारे को क्षति पहुचाने की पुरी कोसिस कर रहे है| पर उन्हें पता होना चाहिए कि "भारत" अपने आप में ही एक अखंड एवं अटूट है | यहाँ बापू,पटेल, नेहरू, मौलाना कलाम, शास्त्री, अब्दुल कलाम के पद-चिन्ह है, जिन पर चलना यहाँ बच्चों बच्चों को सिखाया जाता है |

यहाँ "बापू" कहते थे ...

"मुंह से उफ़ तक किये बिना, अधिकारों के हित अडना है |

नहीं आदमी से, उसकी दुर्बलता से लड़ना है ||"

ये वही भारत है, जिसे "दिनकर" ने  कहा है ...

उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है
धर्म-दीप हो जिसके भी कर में वह नर तेरा है
तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने आता है
किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है
मानवता के इस ललाट-वंदन को नमन करूँ मैं !

पर हम्हे लगातार इन्हीं आदर्शो पर चलना है, हाँ बीच में कुछ भटके है | पर अब हम में एक नया जोश है |

एक नयी उम्मीद .....एक नए ....लोहिया ....जेपी ...की तलाश ....एक "बापू"
जैसा और एक .......बच्चों का "चाचा".......की तलाश

"मन्त्र पुराने काम न देंगे, मन्त्र नया पढना है ,

मानवता के हित मानव का रूप गढना है |"

जो दुर्भावना रूकावट बने उसे....

"मसल कुचल दो विष-दंतों को, फिर न ये कभी ये काट सकें ,

करो नेंस्तानाबूत इन्हें अब, न सिर फिर ये कभी उठा सके |"

और पूरा विश्वास है ....कि हम होंगे दिन .....कामयाब ..

जय हिंद दोस्तों  

 

सोमवार, 25 जनवरी 2010

हम जरूर होंगे कामयाब....हम होंगे विश्व-शक्ति ....(भारत)

एक और २६ जनबरी....हमारे सीने गर्व से तन रहे है ....हो भी क्यूँ ना ....हम एक भविष्य की विश्व-शक्ति के नागरिक है | हमारे पास युवा-शक्ति है |हमारे दुनिया का बेहतर मानव संसाधन है ....सारे इधर ही ताक रहे है | युवा प्रतिभाये ....पूरी दुनिया में लोहा मनवा रही है | रक्षा प्रलाणी में हम बेहतर होते जा रहे है, आईटी में हमारे लोहा पहले से ही है | कुल ,मिलाकर ....सही दिशा में जा रहे है | हम पहुंचेगे मंजिल पर....पूरी गारंटी है |

लेकिन किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार एवं उचित प्रयास की जरूरत होती है | बस इसी बात को हम्हे ध्यान रखना है | हमारे इच्छाशक्ति दृढ  होनी चाहिए| सबसे जरूरी मानव संसाधन, शिक्षा के स्तर में हम पिछड रहे है | मात्र कागजों पर आंकड़े दिखाने से शिक्षा स्तर नहीं सुधरेगा | मसलन कागजों में कंप्यूटर कई सरकारी स्कूलों में पहुँच चूका है , पर असलियत से आप वाकिफ होंगे ही , जब बिजली ही नहीं है , तो बेचारे कंप्यूटर.....|

लोगों का सरकारी स्कूलों पर से बिलकुल भरोसा उठता जा रहा है ,और निजी स्कूल मनमानी कर रहे है , आज  निजी स्कूल जब मन चाहे फीस बढ़ा देते है |

शिक्षकों के चयन में भी काफी पारदर्शिता आनी चाहिए , क्यूँकि एक योग्य शिक्षक ...कई सारे अतिरिक्त संसाधनों से काफी है |
और क्या कहना....सबसे जरुरी शिक्षा (गुणवत्ता-पूर्ण)....शिक्षा से जागरूकता ....जागरूकता से अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा |और एक अच्छा राष्ट्र ही आगे (बहुत आगे) बढ़ता है |

 

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं

 

 

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