
कल गणतंत्र दिवस है ! आज हम स्वतंत्र तथा विश्व के प्रभावशाली देशों की सूची में अहम् स्थान पर है ! हमें भारतीय होने पर गर्व है ! आज हमारे कदम चाँद पर पहुँच चुके है ! इस मौके पर मुझे अमरकवि अवतार सिंह 'पाश ' के चाँद पंक्तियाँ याद आ रही है ! भारतमेरे सम्मान का सबसे महान शब्द , जहाँ कहीं भी प्रयोग किया जाए,बाकी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते है ! ये नही है कि हमारे यहाँ अब राजसत्ता से भ्रष्ठाचार ,नौकरशाहों के कदाचार, घूसखोरी ख़त्म होगई है !काफी है , तथा बढ़ ही रही है ! इसे मिटाना तो हमीं को है ! लेकिन यहाँ मैं उस जिजीविषा की चर्चा करना चाहूँगा, जोकि भारत को जिन्दा बनाए रखती है ! जाने कितने आए कितने गए , लेकिन...