बुधवार, 30 दिसंबर 2009

कैसे लाये नए पाठक एवं लेखक (ब्लॉगर) हिंदी ब्लोगिंग जगत में ...

मुझे हिंदी में ब्लोगिंग करते हुए कम से कम एक साल तो हो ही गया होगा  | इस एक साल में मैंने बहुत कुछ सीखा है | आप लोगों का भरपूर प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन मिला | हिंदी ब्लोगिंग की दुनिया के बारे में मेरा जो भी अनुभव है ,जैसे कैसे नए पाठक एवं नए लेखक जोड़े जाये ? मैं यहाँ नववर्ष की पूर्व संध्या पर कहना चाह रहा हूँ | हिंदी ब्लोगिंग के बारे में कुछ तथ्य मेरे अनुभव किये हुए है , जो मैं  यहाँ लिख रहा हूँ | Ø  यहाँ ज्यादातर पाठक , लेखक (ब्लॉगर) होते है | मतलब हम लोग ही एक दूसरे को पढते है , टिप्पणी कर लेते है | Ø  ज्यादातर लोग यह समझते है कि हिंदी ब्लोग  सिर्फ बड़े लेखक, कवि,...

रविवार, 27 दिसंबर 2009

आज हिंदी ब्लॉग जगत पर एक बेहद स्वस्थ्य एवं सार्थक बहस पढने को मिली ...

आज जब मैं हिंदी चिट्ठों की दुनिया में विचरण कर रहा था | तब अचानक संगीता पुरी जी के चिट्ठे पर पहुंचा | वहाँ मुझे एक बढ़िया पोस्ट तो पढने को मिली ही , साथ लवली कुमारी जी और संगीता जी के बीच धर्म और विज्ञान पर एक स्वथ्य एवं सार्थक बहस पढने को मिली | ऎसी बहस ब्लॉग में मौजूद टिप्पणी कि सुविधा को और भी सार्थक बना देता है | वास्तव मर टिप्पणियों के जरिये ऐसी ही सार्थक बहस की जरूरत है | अगर आप ये बहस पढने से चूक गए है , तो लीजिए यहाँ प्रस्तुत है :    लवली कुमारी / Lovely kumari ने कहा: संगीता जी आप कुछ बातों से सहमत होते हुए ..कुछ से असहमत होने की सुविधा चाहूंगी . धर्म का अर्थ बहुत...

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

एक टेक ब्लॉगर को हिंदी में लिखने के लिए प्रेरित किया.....

    कल एक काम और मैंने बढ़िया किया | मेरा एक दोस्त जोकि इंग्लिश  में ब्लोगिंग करता था| जब उसे हिंदी ब्लॉग दुनिया से भेंट करवाई, तो उसके मुंह से निकल ही पड़ा, "वाह ...यहाँ का तो नज़ारा ही कुछ और है | खैर इसको ब्लोगिंग में ज्यादा दिन नहीं हुए है | पर मैंने  इन्हें हिंदी ब्लोगिंग के बारे में बताया और राजी कर ही लिया | अब ये अपने ब्लॉग कि एक हिंदी कॉपी (संस्करण) भी लिखते  है| ये उत्तराखंड के रहने वाले है, इसलिए कुछ उच्चारण कि दिक्कत हो रही है, पर मैंने मदद करने का वायदा किया...

शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

जॉब कार्ड में धांधली का विरोध करने पर नरेगा प्रभारी की गोली मारकर हत्या

नरेगा मे खुलेआम धांधलियाँ सामने आ रही है जिनमे जाँब कार्ड मे मनमानी,मजदूरों को पूरा मेहनताना ना मिलना शामिल है वैसे तो इस योजना मे बहुत सी अच्छाईयाँ है,पर इसमे पारदर्शिता लाने के प्रयास नाकाफी है ये योजना गांव के कुछ दबंग लोगो के लिये आय का नया स्त्रोत बन गयी है,इसके उदाहरण आए दिनो मिल रहे हैकुछ दिनों पहले ,नरेगा के तहत मजदूरों के जाँब कार्ड न बनाने का विरोध करने पर कांग्रेस नरेगा प्रकोष्ठ के प्रभारी श्रवण कुमार सिंह की घर के बाहर सोते समय गोली मारकर हत्या कर दी गयी यह बात फर्रुखाबाद के दुबरी गांव की है हत्या का मुख्य अभियुक्त (गांव का ही पुर्व...

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

'कागजमल के आंसू'......................

दोस्तों आज अनायस ही बचपन की पढ़ी हुई कविता 'कागजमल के आंसू' याद आ गई ! सरकारी स्कूल में छुट्टी के घर वापस आते समय सभी गाते हुए आते थे ! कागज़ है ही ऐसी चीज की उसके वगैर जीवन कल्पना ही नही होती है ! पुराने जमाने के कीमती ग्रन्थ , पुराण , आदि कागज़ की वजह से ही तो हमारे पास है ! कागज़ अपनी अभिव्यक्ति को ज़ाहिर करने का माध्यम है ! कागज़ की महिमा ज्यादा क्या बताना, बच्चा बच्चा जानता है ! और समय तथा जगह भी नही है ! कागज़ का सबसे प्रयोग इजिप्ट के निवासियों के द्वारा करीब ३५०० ईसापूर्व किया गया था ! और आज भी बदस्तूर जारी है ! और जारी रहेगा ! जब से कागज़ पर मुद्रा छपने का चलन हुआ तब इसकी अहमियत और...

रविवार, 25 जनवरी 2009

कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी ....

कल गणतंत्र दिवस है ! आज हम स्वतंत्र तथा विश्व के प्रभावशाली देशों की सूची में अहम् स्थान पर है ! हमें भारतीय होने पर गर्व है ! आज हमारे कदम चाँद पर पहुँच चुके है ! इस मौके पर मुझे अमरकवि अवतार सिंह 'पाश ' के चाँद पंक्तियाँ याद आ रही है ! भारतमेरे सम्मान का सबसे महान शब्द , जहाँ कहीं भी प्रयोग किया जाए,बाकी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते है ! ये नही है कि हमारे यहाँ अब राजसत्ता से भ्रष्ठाचार ,नौकरशाहों के कदाचार, घूसखोरी ख़त्म होगई है !काफी है , तथा बढ़ ही रही है ! इसे मिटाना तो हमीं को है ! लेकिन यहाँ मैं उस जिजीविषा की चर्चा करना चाहूँगा, जोकि भारत को जिन्दा बनाए रखती है ! जाने कितने आए कितने गए , लेकिन...

शनिवार, 3 जनवरी 2009

हम क्या नही कर सकते है......

आज हम क्या नही कर सकते है, २००९ हमारी दम तथा जज्बे की परीक्षा लेने के लिए तैयार खड़ा है ! अब्दुल कलाम के सपने को पूरा करने में ३६५ दिन और कम हो गए है ! आज हम जिस गति से विकास कर रहे है !उसको देखकर हर भारतवासी की आंखों में एक चमक देखी जा सकती है ! १९९८ में जब हम पर तमाम तरीके के प्रतिबंद लगा दिए गए थे, तो हमारा क्या क्या बिगाड़ लिया, एक बात और हुई हम अपनी टेक्नोलोजी पर निर्भर होना सीख गए ! आज हमारे देश की सेलुलर फ़ोन कंपनिया दुनिया में अपना लोहा मनवा रही है ! टाटा पहले ही कोरस का अधिग्रहण करके सावित कर चुकी है ! आज गांव गांव फ़ोन पहुँच गया है ! सूचना प्रोधौगिकी के क्षेत्र में हमे अपनी उपलब्धियों...
 

जरा मेरी भी सुनिए Copyright © 2011 -- Template created by O Pregador -- Powered by Blogger