शनिवार, 10 अप्रैल 2010

ललित शर्मा जी आप “विनोद काम्बली” नहीं “सचिन” हैं |

न न, मैं “ललित जी” की तुलना विनोद काम्बली से तुलना सिर्फ समय-अवधि के आधार पर कर रहा हूँ | वैसे “ललित शर्मा” का हिंदी ब्लोगिंग को दिया गया योगदान

 

lalit-sharma

 

सराहनीय है | आप तो हिंदी ब्लॉगिंग के सचिन हैं तो फिर “विनोद काम्बली” की

तरह यूँ कहाँ चल दिए ?

आप से एक लंबी पारी की उम्मीद है | मैं तो ठहरा एक “छोटा” ब्लोग्गर , आप लोगों को देखकर “उर्जा” और “उत्साह” मिलता है | जब आप लोग छोड़ के जायोगे तो फिर …..

खैर आपके इस फैसले के पीछे आपका कोई व्यक्तिगत कारण होगा, और आपने इस पर कई बार सोचा भी होगा | आप को “समीर जी” , “रवि रतलामी”,”दिनेश राय द्विवेदी” की तरह हर कोई हिंदी ब्लोग्गर “लंबे” काल तक देखना चाहता है |

मैं तो ये खबर सुनकर चौकन्ना रह गया | इतनी बड़ी घोषणा आप चुपके मे कर गए | आप जितने सक्रिय अभी थे, उस कम ही सही आप “ जाईये” मत ……

हम सब आपका इंतज़ार कर रहे है …..उम्मीद है आप १ या २ घंटे जरूर निकालेंगे और लिखेंगे भी |

http://lalitdotcom.blogspot.com/

 

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