सोमवार, 22 नवंबर 2010

सुनिए लोकप्रिय वीर काव्य आल्हा खंड--लल्लू बाजपेयी

आल्हा हमारी चौपालों का श्रृंगार रहा है | आल्हा को सुनने का एक अलग ही अनुभव होता है | ये वीरगाथा काल में ही लिखा गया था |

ये सुनिए लोकप्रिय गायक लल्लू बाजपेयी की आवाज में ...

आल्हा ,ऊदल एक वीर के साथ स्वामिभक्त राजपूत की बढ़िया मिसाल है| आल्हा और ऊदल परमालदेव चन्देल राजा (महोबा)के दरबार के सम्मनित सदस्य थे। यह दोनों भाई अभी बच्चे ही थे कि उनका बाप जसराज ने एक लड़ाई में वीरगति पायी । राजा को अनाथों पर तरस आया, उन्हें राजमहल में ले आये और मोहब्बत के साथ अपनी रानी मलिनहा के सुपुर्द कर दिया। रानी ने उन दोनों भाइयों की परवरिश और लालन-पालन अपने लड़के की तरह किया। जवान होकर यही दोनों भाई बहादुरी में सारी दुनिया में मशहूर हुए।

1 टिप्पणियाँ:

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

राहुल,
बहुत बहुत शुक्रिया।
एक आल्हा गीत सुनने के लिये मैं पिछले ढाई साल से इधर उधर डोल रहा था। नैट पर एक जगह मिले भी तो इतने शोर शराबे वाले साज थे कि समझ ही नहीं आ रहा था।
शुक्रिया फ़िर से।

 

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