गुरुवार, 4 मार्च 2010

कल मैं गांव से लौटा हूँ ..सोचा कुछ हाल-चाल बता दूं आपको

मैं कल अपने गांव से लौटकर आया हूँ , सोचा कुछ शेयर किया जाये आप लोगों के साथ | पहले तो बता दूं कि अबकी बार "होली" बहुत ही जबरदस्त रही , आशा है आपकी भी रही होगी |

गांव गया था, वैसे तो मैं हर ४ या ५ महीने बाद जाता रहता हूँ |अबकी बार कुछ ज्यादा ही परिवर्तन दिखायी दिए | जिस सड़क को पहले हम बचपन अवस्था में छोड़कर आये थे , वो अब लगता है "प्रोजेरिया" रोग से ग्रसित हो गयी, तभी तो उसने थोड़े ही दिनों में अपनी तीनों अवस्थाएं देख ली .....यानि अब जब मैं वापस गया तो वह सड़क अपनी आखिरी स्टेज में पहुँच चुकी है | हाँ वैसे उसे कहा "उच्च गुणवत्ता" का जा रहा था |

खैर आगे गेंहूँ के खेत तो लहरा रहे थे, "बाली" तो आ गयी है सबपर पर अभी "दाना" छोटा छोटा है | तम्बाकू, बंद-गोभी के खेत भी देखते ही बनते है | "जौ" के खेतों का क्या कहना |

हाँ एक परिवर्तन और दिखा जहाँ पहले "बिजली" महारानी दिन में मुश्किल से ६ या ७ घंटे रहती थी, अब वहाँ कम से कम १२ या १४ घंटे तो जरूर ही रहेंगी | बीच बीच में कट तो अभी भी काफी है , पर उनकी भरपाई भी वे जरूर करती है | हाँ लेकिन "शाम" को इनके दर्शन पहले की तरह अभी भी दूभर है |
गांव की सडकें, जो पहले ईंटों के "खंडंजा" हुआ करते थे, वे अब पूरी तरह से "कंक्रीट" की मोटी मोटी चादरों में तब्दील हो चुके है | कीचड़ मानों "विलुप्त" हो गया है |

हाँ मेरे गांव के दक्षिणी छोर पर एक विशाल भू-भाग पर एक "वन" हुआ करता था | मेरी धुंधली याद में वो काफी घना एवं हरा भरा था | पहले वो गांववालों के "कहर " से काफी घायल हो चूका था , फिर पिछली साल जब "वन विभाग" ने उसमे कुछ दिलचस्पी दिखायी तो लगा कि अब कुछ दिन सुधरेंगे | घेरा-बंदी हुई, पुरानी झाडियाँ, पेड़, काट दिए गए, नए भी लगाए गए | फिर "वन विभाग" उन नवजातों(पेड़) को भुलाकर चले गए, बाद में कभी उनकी सुध नहीं ली | अब हालात ये है कि हमारा वो "वन" अब वैसा भी नहीं रह गया | अब वहाँ हम "क्रिकेट" खेल सकते है | इससे से बेहतर मेरा पहले ही था |

और माहौल, भाईचारा, सब सही है | आगामी "पंचायत चुनावों" के लिए गणित  अभी से चालू हो गया है |  और सब बढ़िया है ......

ग्राम- खरसुलिया
जिला - एटा
उत्तर प्रदेश


3 टिप्पणियाँ:

विवेक सिंह ने कहा…

बहुत अच्छा किया आपने जो बता दिया । नहीं तो हमें पता ही न चलता ।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

आप को पढ़ना अच्छा लगा। चुनावी भाइचारे की आँधी तो आजकल पूरे उत्तरप्रदेश में चल रही है।

निर्मला कपिला ने कहा…

बडिया लगा संस्मरण

 

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