भारत
मेरे सम्मान का सबसे महान शब्द ,
जहाँ कहीं भी प्रयोग किया जाए,
बाकी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते है !
ये नही है कि हमारे यहाँ अब राजसत्ता से भ्रष्ठाचार ,नौकरशाहों के कदाचार, घूसखोरी ख़त्म होगई है !काफी है , तथा बढ़ ही रही है ! इसे मिटाना तो हमीं को है ! लेकिन यहाँ मैं उस जिजीविषा की चर्चा करना चाहूँगा, जोकि भारत को जिन्दा बनाए रखती है ! जाने कितने आए कितने गए , लेकिन हमारे सभ्यता जो थी ,वही है ! हाँ कुछ परिवर्तन तो संसार का नियम है ! मुग़ल, अंग्रेज सभी आए !हामारे यहाँ 'स्लमडॉग मिलेनियर' की लाखों कहानियाँ मौजूद है !पर हमारे यहाँ के भूखे, मज़लूम विध्वंस नही करते है ! इसका मतलब ये नही कि हम उनकी सब्र कि सीमा टूटने का इंतज़ार करे ! उन्हें उनके मौलिक अधिकार देने होगे ! यहाँ कविवर नीरज की ये पंक्तियाँ गौर करने के लायक है !
तन की हविश मन को गुनहगार बना देती है ,
बाग़ के बाग़ को बीमार बना देती है !
भूखें पेटों को ओ देशभक्ति सिखाने वालों,
भूंख इन्सान को गद्दार बना देती है !!
मैं इस लेख के माध्यम से इतना कहना चाहता हूँ ! कि भारत में अपने बल पर दुनिया को दिखाने कि ताकत है , और कई बार दिखाई भी है ! इसी देश में मोहन दास पैदा होकर बापू कहलाया !अंत में 'पाश' कि ही चंद पंक्तियाँ दे रहा हूँ ....
।हम लड़ेगे साथी ,
उदास मौसम के लिए ,
हम लड़ेगे साथी,
गुलाम इच्छायों के लिए ,
हम चुनेगे साथी ....
जय हिंद दोस्तों